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बड़े ही दुःख के साथ सूचित किया जा रहा है कि श्रील प्रभुपाद के बहुत ही निकटतम, निष्ठावान एवं प्रिय शिष्य पूज्य ब्रह्मानंद प्रभु आज दोपहर हमारे बीच से वापस श्रील प्रभुपाद की अप्रकट लीलाओं में सम्मिलित होने चले गए।
वे श्रील प्रभुपाद के प्रथम ११ शिष्यों में से एक थे । श्रील प्रभुपाद को उनपर बहुत विश्वास था क्योंकि के कभी भी उनकी किसी भी आज्ञा का पालन करने के लिए तत्पर रहते थे ।

ब्रह्मानंद प्रभु ही वे व्यक्ति थे जिन्होंने “श्रीमद् भगवद्गीता-यथारूप”, “Bhagavad-Gita As It Is” की पहली प्रति “Macmillan Publishing Company” से छपवाई थी।
वे ही थे जिहोंने ” कृष्ण-परम पुरुषोत्तम भगवान” “Krishna Book” को सबसे पहले बहुत ही प्रतिष्ठित “Dai Nippon Printing Company, Japan” से छपवाई थी। और तो और छपने के तुरंत बाद, श्रील प्रभुपाद के सामने प्रस्तुत करने से पहले एक प्रति का वितरण भी कर दिया। उनके इस पुस्तक वितरण के उत्साह से श्रील प्रभुपाद बड़े ही प्रसन्न रहते थे।
वे ही थे जिन्होंने अफ्रीका और पाकिस्तान जैसी जगहों पर विषम परिस्थितियों में रहते हुए भी ISKCON एवं कृष्ण भक्ति का प्रचार किया।

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वे काफी समय से श्री वृन्दावन धाम में रह रहे थे। उनकी, श्रील प्रभुपाद की स्मृतियाँ, सुनने में बहुत ही मनमोहक प्रतीत होती थी।

हमारी तरफ से उनको हार्दिक श्रद्धांजलि एवं प्रार्थना की हमारे अंदर भी उनके जैसी निष्ठा एवं उत्साह उत्पन्न हो और हम भी श्रील प्रभुपाद को प्रसन्न कर सकें।

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