कृष्ण भक्ति में अग्रसर होने के पांच उपाय

भक्ति-पद तक ऊपर उठने के लिए हमें पांच बातों का ध्यान रखना चाहिए : 1. भक्तों की संगति करना, 2. भगवान कृष्ण की सेवा में लगना, 3. श्रीमद् भागवत का पाठ करना, 4. भगवान के पवित्र नाम का कीर्तन करना तथा 5. वृन्दावन या मथुरा में निवास करना | यदि कोई इन पांच बातों में से किसी एक में थोडा भी अग्रसर होता है तो उस बुद्धिमान व्यक्ति का कृष्ण के प्रति सुप्त प्रेम क्रमशः जागृत हो जाता है (CC.मध्य लीला 24.193-194) | कृष्णभावनामृत हमारी चेतना को निर्मल तथ शुद्ध बनाने की विधि है |  जब मनुष्य हर वस्तु को...

Read More

भोलेनाथ – परम वैष्णव

शिव यानि मंगल या कल्याणकारी, वे शंकर, शम्भू, महादेव, महेश रूद्र आदि नामों से भी पुकारे जाने वाले आदिदेव इस भौतिक जगत के नियंता भी हैं। ब्रह्म-संहिता के अनुसार क्षीरं यथा दधि विकार-विशेष योगात्  संजायते न हि ततः पृथगस्ति हेतोः | यः शंभुतामपि तथा समुपैति कार्याद्  गोविंदं आदिपुरुषं तमहं भजामि || ब्रह्मा जी बताते हैं कि जिस प्रकार दही, दूध से ही उत्पन्न होता है परन्तु दूध का विकृत स्वरूप है उसी प्रकार शिव जी भी इस भौतिक जगत के नियंता के रूप में ब्रह्मा एवं विष्णु के साथ सृष्टि के संचालन में सहायता करते हैं। अन्यत्र वर्णन आता...

Read More

श्रील भक्तिसिद्धान्त सरस्वती – संक्षिप्त जीवनी

श्रील भक्ति सिद्धान्त प्रणति  नम ॐ विष्णु-पादाय कृष्ण-प्रेष्ठाय भू-तले श्रीमते भक्तिसिद्धान्त-सरस्वतीति नामिने श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती का जन्म जगन्नाथ पुरी की पावन भूमि पर श्री चैतन्य महाप्रभु की शिष्य परंपरा में महान वैष्णव आचार्य श्रील भक्तिविनोद ठाकुर के घर हुआ था । श्रील भक्तिविनोद ठाकुर ने एक विश्वव्यापी आध्यात्मिक आंदोलन की कल्पना की थी तथा  उसे पूरा करने के लिए पुत्र प्राप्ति की प्रार्थना की थी । ६ फरवरी १८७४ को पवित्र तीर्थस्थान श्री जगन्नाथ पुरी मंदिर में अधीक्षक के रूप में सेवारत श्रील भक्तिविनोद ठाकुर के घर पर श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर का जन्म हुआ । उन्हें बिमला प्रसाद नाम दिया गया...

Read More

श्रील प्रभुपाद की पुस्तकें कैसे लिखी गयीं और हमें क्यों उन्हें पढ़ना चाहिए ?

श्रील प्रभुपाद ने कहा, उन्होंने (भगवान कृष्ण ने) मुझे यहाँ आने को कहा परन्तु मैंने कहा कि मैं वहां नहीं जाना चाहता क्योंकि वह एक गन्दा स्थान है । उन्होंने (भगवान कृष्ण ने) कहा की यदि मैं जाऊं तो वे मेरे लिए सुन्दर भवनों का प्रबंध करवा देंगे । मैंने कहा, परन्तु मैं वहां नहीं जाना चाहता । उन्होंने (भगवान कृष्ण ने) कहा, आप केवल जाइये और पुस्तकें लिखिए और मैं आपके लिए सब कुछ सुविधाजनक बना दूंगा । श्रील प्रभुपाद यह बताते हैं, क्योंकि उन्होंने मुझे इन पुस्तकों को लिखने का आग्रह किया इसलिए मैं यहाँ आया ।...

Read More

श्री नित्यानंद त्रयोदशी पर विशेष

नरोत्तम दास ठाकुर कहते हैं, "यदि आप भगवद्धाम में श्री श्री राधा-कृष्ण के संग के लिए व्याकुल हैं, तो सर्वोत्तम युक्ति यह है कि आप श्री नित्यानद प्रभु का आश्रय लें ।" वे आगे कहते हैं, "से सम्बन्ध नाही जार, बृथा जन्म गेलो तार : जो श्री नित्यानंद प्रभु के संपर्क में आने से वंचित रहा है उसने अपना बहुमूल्य जीवन ऐसे ही व्यर्थ गँवा दिया है ।" बृथा जन्म गेलो, बृथा अर्थात शून्य, तथा जन्म अर्थात जीवन । गेलो तार अर्थात व्यर्थ । क्योंकि उसने श्री नित्यानंद प्रभु से संबंध नहीं जोड़ा है । नित्यानंद, नाम ही सूचक...

Read More

आज वराह द्वादशी पर विशेष

आज वराह द्वादशी पर विशेष : परम पुरुषोत्तम भगवान भौतिक प्रकृति के नियमों द्वारा संचालित होकर कोई अवतार नहीं लेते ।यहाँ ‘स्वेच्छा’ शब्द यह इंगित करता है कि वे अपनी प्रधान इच्छा द्वारा ही प्रकट होते हैं । बद्ध जीव, परम भगवान के निर्देशन में अपने कर्मों के अनुसार भौतिक प्रकृति के नियमों के अंतर्गत एक विशेष प्रकार का शरीर पाता है । परन्तु जब भगवान प्रकट होते हैं तो वे भौतिक प्रकृति के आदेशों द्वारा विवश नहीं होते ; वे अपनी इच्छा से अपनी अंतरंग शक्ति द्वारा प्रकट होते हैं । यही अंतर है । बद्ध जीव कोई...

Read More

सावधानी हटी, दुर्घटना घटी

मुझे यह जानकर हर्ष हुआ कि आपने अपने मन पर पुनः नियंत्रण पा लिया है तथा माया के सारे दांव अब समाप्त हो गए हैं । भगवान कृष्ण कि कृपा द्वारा आप माया के आक्रमण से बचा लिए गए हैं । आप बाल-बाल बचे हैं और इस से आपको अच्छी सीख लेनी चाहिए कि यदि हम कठोरता से नियामक सिद्धांतों का पालन नहीं करते तो माया अपने प्रभाव से शंका उत्पन्न करके भगवान कृष्ण में हमारी श्रद्धा को दुर्बल कर देने के लिए सदैव तत्पर है । अतएव मैं बहुत प्रसन्न हूँ की आप बच गए हैं और मैं...

Read More

गुरु दावानल को बुझाने वाले मेघ हैं और श्रवण-कीर्तन, जल है

गुरु ने ‘कारुण्य’ प्राप्त किया है । ‘कारुण्य’ अर्थात जैसे मेघ, सागर से जल प्राप्त करता है वैसे ही गुरु, आनंद के सागर, श्री कृष्ण से करुणामय मेघ प्राप्त करते हैं । घनाघनत्वं । और केवल मेघ ही हैं जो संसार के दावानल (जंगल में लगी आग) को बुझा सकते हैं । कोई और जल देने के उपाय इसमें सहायता नहीं कर सकते । यह असम्भव है । नाही आप वहां जा सकते हैं और नाही किसी अग्निशमन वाहन या बाल्टी द्वारा कोई सेवा कर सकते हैं । तो यह अग्नि कैसे बुझेगी ? घनाघनत्वं । यदि आकाश में मेघ...

Read More

पुस्तक-वितरण के अनुभव

यह वृतांत यूरोप में बुडापेस्ट शहर का है । मैं पार्किंग-स्थल में पुस्तक-वितरण करते हुए एक ४०-४५ वर्षीय महिला से मिला । उसने मुझे सकारात्मक दृष्टि से देखा तो मैंने उसे “पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान श्री कृष्ण” पुस्तक देना चाहा, परन्तु उसने मना कर दिया और साथ ही यह बताने लगी की वह क्यों नहीं ले सकती । उसने कहा, “जब मैं सत्रह वर्ष की थी तब मैंने भगवद-गीता पढ़ी थी और पढ़ते-पढ़ते मैं खूब रोई क्योंकि मुझे वह मिल गया था जो मैं हमेशा से ढूंढ रही थी । मुझे भगवान कृष्ण की उपस्थिति का अनुभव हुआ । उसने...

Read More

गोपाष्टमी – गो पूजन का एक पवित्र दिन

शुलक्षमी कार्तिके तु स्मृता गोपाष्टमी बुधै ।  तद-दिनाद वासुदेवो’भुद गोपः पूर्वं तु वत्सपः ॥    “शास्त्रज्ञों एवं आचार्यों के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है । इस दिन से भगवान वासुदेव ने गोपालन की सेवा प्रारम्भ की, इसके पूर्व वे केवल बछड़ों की देखभाल करते थे ।” गोपाष्टमी,  ब्रज  में भारतीय संस्कृति  का एक प्रमुख पर्व है। अतिप्रिय गाय की रक्षा तथा गोचारण करने के कारण भगवान श्री कृष्ण को ‘गोविन्द या गोपाल’ नाम से संबोधित किया जाता है । भगवान ने कार्तिक शुक्ल पक्ष, प्रतिपदा से सप्तमी तक गो-गोप-गोपियों...

Read More

संस्थापक आचार्य

ISKCON  संस्थापक आचार्य

हरे कृष्ण टीवी चैनल सीधा प्रसारण

हरे कृष्ण टीवी चैनल

WhatsApp

Hindi ISKCON Desire Tree Whatsapp

 

दैनिक आध्यात्मिक लाभ के लिए हमारे WhatsApp नंबर से जुड़ें 

+91 - 9987 06 06 06

 

आध्यात्मिक सलाह एवं प्रश्नों के लिए हमें ई-मेल करें

idesiretree.hindi@gmail.com

 

हमारा फेसबुक पेज

आने वाली वैष्णव तिथियाँ

 ०६ मार्च 
अम्लकी व्रत एकादशी 

 ०७ मार्च 
माधवेन्द्रपुरी तिरोभाव  

 ०९ मार्च 
गौर पूर्णिमा 

१० मार्च 
जगन्नाथ मिश्रा उत्सव 

१६ मार्च 
श्रीवास पंडित आविर्भाव 

२० मार्च 
पाप मोचनि एकादशी 

२१ मार्च 
गोविन्द घोष तिरोभाव 

२९ मार्च
श्री रामानुजाचार्य आविर्भाव 

Pin It on Pinterest

WordPress › Error

There has been a critical error on your website.

Learn more about debugging in WordPress.