श्रील भक्तिसिद्धान्त सरस्वती – संक्षिप्त जीवनी

श्रील भक्ति सिद्धान्त प्रणति  नम ॐ विष्णु-पादाय कृष्ण-प्रेष्ठाय भू-तले श्रीमते भक्तिसिद्धान्त-सरस्वतीति नामिने श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती का जन्म जगन्नाथ पुरी की पावन भूमि पर श्री चैतन्य महाप्रभु की शिष्य परंपरा में महान वैष्णव आचार्य श्रील भक्तिविनोद ठाकुर के घर हुआ था । श्रील भक्तिविनोद ठाकुर ने एक विश्वव्यापी आध्यात्मिक आंदोलन की कल्पना की थी तथा  उसे पूरा करने के लिए पुत्र प्राप्ति की प्रार्थना की थी । ६ फरवरी १८७४ को पवित्र तीर्थस्थान श्री जगन्नाथ पुरी मंदिर में अधीक्षक के रूप में सेवारत श्रील भक्तिविनोद ठाकुर के घर पर श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर का जन्म हुआ । उन्हें बिमला प्रसाद नाम दिया गया...

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क्या आपको आत्मा और शरीर के बीच अंतर पता है ?

इस लेख में आपको आत्मा तथा शरीर के बीच का अंतर ज्ञात होगा । यह ज्ञान हमारे आध्यात्मिक ज्ञान का मूल है । कभी कभी लोग यह बोल देते हैं कि हम भी अध्यात्म से जुड़े हैं या किसी न किसी आध्यात्मिक मार्ग का अनुसरण कर रहे हैं । परन्तु अधिकतर लोगों में अभी भी यह मूलभूत ज्ञान नदारद है कि अध्यात्म का आधार ही यह है कि, “हम यह शरीर नहीं आत्मा हैं ।” इस विषय के अतिरिक्त आपको यह ज्ञात होगा की पापकर्म के फल किस प्रकार कार्यान्वित होते हैं । और कैसे इन दुर्गम फलों से...

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बलराम जी का दुर्योधन के प्रति स्नेहिल व्यवहार क्यों था ?

यदि हम भगवान कृष्ण के प्रिय बड़े भाई की लीलाओं का चिंतन करें तो कुछ उचित प्रश्न उठते हैं : बलराम जी ने दुर्योधन को इतना समर्थन क्यों दिया ? दुर्योधन, भगवान कृष्ण का भक्त नहीं था । बाल्यकाल से ही उसने कृष्ण के शुद्ध भक्तों को विभिन्न उपायों से मारने का प्रयास किया । जब युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण द्वारा पांडव-पक्ष की ओर से शांति-सन्देश भिजवाया तब दुर्योधन ने भगवान कृष्ण का निरादर किया और उन्हें बंदी बनाने का प्रयास किया । भगवान कृष्ण और उनके शुद्ध भक्तों के प्रति इन अपराधों के बाद भी दुर्योधन, बलराम जी के महान शिष्य के रूप...

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