—-जय श्रील प्रभुपाद—–
जलदूत के कोलकाता बंदरगाह छोड़ने से १३ अगस्त २०१५, (५०वीं वर्षगाँठ) तक इस्कॉन की रिपोर्ट :
मंदिर/ केंद्र :
६०२ – विश्व भर में मंदिर
६५ – फार्म / वर्णाश्रम ग्राम
५४ – विद्यालय
११० – जलपानगृह/ भोजनालय
भक्त :
७५,००० – दीक्षा प्राप्त भक्त
७०,००,००० – श्रद्धालु इस्कॉन के मंदिरों में दर्शन हेतु आते हैं
२००० – भक्ति वृक्ष ग्रुप विश्व के विभिन्न कोनो में चलते हैं (३०,००० भक्त)
पुस्तकें :
५,१६,००,००,००० – पुस्तकें बी.बी.टी द्वारा छापी और वितरित की जा चुकी हैं
प्रसाद वितरण :
३,००,००,००,००० – प्लेट प्रसाद, वितरित हो चुके हैं
१२,००,००० – प्लेट प्रसाद, प्रतिदिन “अन्नामृत” योजना के अंतर्गत हो रहा है
उत्सव, हरिनाम, नगर-संकीर्तन एवं पदयात्रा :
१००० – नगर-संकीर्तन समूह, प्रति-सप्ताह विश्व के विभिन्न कोनों में हरिनाम करते हैं
६००० – विश्व्यापी हरे कृष्ण उत्सव, जैसे जन्माष्टमी, रामनवमी, जगन्नाथ रथयात्रा इत्त्यादि
२,१०,००० – कि.मी. पदयात्रा, विश्व भर के ५२०० गाँव और ११० देश तक पहुंचे
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