हमारी योजनाएँ हमारी रक्षा नहीं कर सकती

श्री नृसिंह लीला चिंतन हिरण्य का अर्थ है सोना तथा कशिपु का अर्थ है मुलायम बिस्तर । ये धूर्त महाशय हिरण्यकशिपु धन तथा स्त्री, इन्ही दोनों वस्तुओं में रूचि रखते थे और अमर होकर इन्हीं का भोग करना चाहते थे । अमर होने की इच्छापूर्ति के लिए उसने अप्रत्यक्ष रूप से ब्रह्माजी से कई वर मांगे । चूँकि ब्रह्माजी ने उससे कह दिया कि वे उसे अमरता का वरदान नहीं दे सकते, अतएव हिरण्यकशिपु ने उनसे प्रार्थना की कि मैं किसी मनुष्य, पशु, देवता या ८४ लाख योनियों के अंतर्गत किसी भी जीव द्वारा न मारा जाऊँ । उसने...

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