शास्त्रों में भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु के अवतरण की भविष्यवाणियां

  कलियुग में बुद्धिमान लोग, कृष्ण-नाम के भजन में निरंतर रत रहने वाले अवतार की पूजा संकीर्तन द्वारा करते हैं । यद्यपि वे श्यामवर्ण के नहीं हैं, परन्तु वे स्वयं कृष्ण हैं । – भागवत ११.५.३२   प्रारंभिक लीलाओं में वे स्वर्णिम वर्ण के एक गृहस्थ के रूप में प्रकट होते हैं । उनके प्रत्यंग सुन्दर हैं और चन्दन का लेप लगाये हुए वे तप्तकांचन के समान दिखते हैं । अपनी अंत की लीलाओं में उन्होंने संन्यास स्वीकार किया, एवं वे सौम्य एवं शांत हैं । वे शांति एवं भक्ति के उच्चतम आश्रय हैं क्योंकि वे मायावादी अभक्तों को...

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