क्या मंदिरों के बड़े अनुष्ठानों में इतना धन व्यय करने से बेहतर नहीं होगा कि हम भूखे लोगों को भोजन कराएं ?
जी हाँ, किसी को भूख से पीड़ित देखना बहुत दुखदायी होता है । आध्यात्मिकता द्वारा हम में दया भाव का विकास होता है । यदि यह समाज भौतिकता के प्रति कम और आध्यात्मिकता के प्रति अधिक झुकाव रखेगा तो, सामान्यजन और राजकीय अधिकारियों में भी यह दयाभाव होने के कारण सभी अधिक से अधिक दान-पुण्य करेंगे । और साथ ही साथ भगवान के मंदिरों में उनकी वैभवशाली पूजा भी होगी । निर्धन एवं अभावग्रस्त लोगों का निश्चित ही ध्यान रखना चाहिए परन्तु क्या उनकी देखभाल और मंदिरों में वैभवपूर्ण पूजा-अर्चना परस्पर दो भिन्न विषय नहीं हैं ? क्या भगवान की पूजा वास्तव में निर्धन लोगों...
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