पुस्तक-वितरण के अनुभव

यह वृतांत यूरोप में बुडापेस्ट शहर का है । मैं पार्किंग-स्थल में पुस्तक-वितरण करते हुए एक ४०-४५ वर्षीय महिला से मिला । उसने मुझे सकारात्मक दृष्टि से देखा तो मैंने उसे “पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान श्री कृष्ण” पुस्तक देना चाहा, परन्तु उसने मना कर दिया और साथ ही यह बताने लगी की वह क्यों नहीं ले सकती । उसने कहा, “जब मैं सत्रह वर्ष की थी तब मैंने भगवद-गीता पढ़ी थी और पढ़ते-पढ़ते मैं खूब रोई क्योंकि मुझे वह मिल गया था जो मैं हमेशा से ढूंढ रही थी । मुझे भगवान कृष्ण की उपस्थिति का अनुभव हुआ । उसने...

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