भरुच रथयात्रा
“हाँ, मेरा यही आदेश है | कृपया भगवद्दर्शन (बैक टू गॉडहेड) पत्रिका के वितरण को सुनियोजित कीजिये | संकीर्तन टोली और पत्रिकाओं एवं पुस्तकों का वितरण ही हमारा वास्तविक कार्यक्रम है | बाकी चीज़ें गौण हैं | इसलिए आप लोग गर्मियों में इस संकीर्तन और पुस्तक वितरण के कार्यक्रम को उत्साहपूर्वक कीजिये | अगरबत्तियों के व्यापार की ओर ध्यान भटकना सही लक्षण नहीं हैं | हमें अपनी सम्पूर्ण शक्ति भगवद्दर्शन (बैक टू गॉडहेड) पत्रिका के वितरण में लगानी चाहिए |” श्रील प्रभुपाद का सत्स्वरूप को पत्र, २१ जून १९७१ २४ और २५ फ़रवरी २०१८ सदा के लिए गुजराती भक्तों के स्मृतिपटल पर अंकित हो गया है...
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