“हाँ, मेरा यही आदेश है | कृपया भगवद्दर्शन (बैक टू गॉडहेड) पत्रिका के वितरण को सुनियोजित कीजिये | संकीर्तन टोली और पत्रिकाओं एवं पुस्तकों का वितरण ही हमारा वास्तविक कार्यक्रम है | बाकी चीज़ें गौण हैं | इसलिए आप लोग गर्मियों में इस संकीर्तन और पुस्तक वितरण के कार्यक्रम को उत्साहपूर्वक कीजिये | अगरबत्तियों के व्यापार की ओर ध्यान भटकना सही लक्षण नहीं हैं | हमें अपनी सम्पूर्ण शक्ति भगवद्दर्शन (बैक टू गॉडहेड) पत्रिका के वितरण में लगानी चाहिए |”
श्रील प्रभुपाद का सत्स्वरूप को पत्र, २१ जून १९७१
२४ और २५ फ़रवरी २०१८ सदा के लिए गुजराती भक्तों के स्मृतिपटल पर अंकित हो गया है |
गत २४ फ़रवरी २०१८ को भरुच शहर में एक वैभवशाली विशाल रथयात्रा का आयोजन किया गया | यह ऐतिहासिक स्थान कई करोड़ वर्षों पूर्व भगवान वामन देव की लीलाओं से जुड़ा हुआ है, जब उन्होंने अपने दो पग से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को नाप लिया था और तीसरे पग को राजा बलि के मस्तक पर रखा था | उसी प्रकार भगवान वामनदेव की ओर से भरुच के पचास भक्तों ने अपने दो शक्तिशाली पगों से भरुच-निवासियों में भगवद्दर्शन की ३००० पत्रिकाओं को वितरित किया | सभी वरिष्ठ भक्तों के संग लगभग ३००० लोगों ने इस रथयात्रा में भाग लिया तथा रात्रिभोज का आनंद लिया | लगभग १०,००० लोगों को बूंदी प्रसाद के पैकेट भी बांटे गए | परम पूज्य भक्ति विकास स्वामी महाराज एवं श्रीमान जशोमती नंदन प्रभु ने भी इस आठ किलोमीटर लम्बी रथयात्रा में भाग लिया | नगर भर की सड़कों को अतिसुन्दर रंगोलियों से सजाया गया था |
२५ फ़रवरी भरुच निवासियों के लिए स्वर्णिम दिन था | इस दिन भावी श्री श्री राधा-मदनमोहन तथा श्री वामनदेव मंदिर की आधारशिला एवं भूमिपूजन समारोह आयोजित किया गया था | परम पूज्य भक्ति विकास स्वामी महाराज एवं श्रीमान जशोमती नंदन प्रभु ने इस समारोह का उद्घाटन किया |
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श्रीमान वामनदेव प्रभु ने इस रथयात्रा एवं पुस्तक-वितरण की व्यवस्था का सम्पूर्ण ध्यान रखा |श्रील प्रभुपाद के पुस्तक-वितरण आंदोलन की जय हो |
आपका दास,
जगन्नाथ दामोदर दास (इस्कॉन भरुच की ओर से)