एकांत में योग करने वाले योगी और भक्त में अंतर

पूर्ण योगी (भक्त) यह जानता है कि भौतिक प्रकृति के गुणों से प्रभावित बद्धजीव कृष्ण से अपने सम्बन्ध को भूल जाने के करण तीन प्रकार के तापों(दुखों) को भोगता है; और चूँकि कृष्णभावनाभावित व्यक्ति सुखी होता है इसीलिए वह कृष्णज्ञान को सर्वत्र वितरित कर देना चाहता है | चूँकि पूर्णयोगी (भक्त) कृष्णभावनाभावित बनने के महत्त्व को घोषित करता चलता है; अतः वह विश्र्व का सर्वश्रेष्ठ उपकारी एवं भगवान् का प्रियतम सेवक है | न च तस्मान् मनुष्येषु कश्र्चिन्मे प्रियकृत्तमः (भगवद्गीता १८.६९) | दूसरे शब्दों में, भगवद्भक्त सदैव जीवों के कल्याण को देखता है और इस तरह वह प्रत्येक प्राणी...

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