गुरु दावानल को बुझाने वाले मेघ हैं और श्रवण-कीर्तन, जल है

गुरु ने ‘कारुण्य’ प्राप्त किया है । ‘कारुण्य’ अर्थात जैसे मेघ, सागर से जल प्राप्त करता है वैसे ही गुरु, आनंद के सागर, श्री कृष्ण से करुणामय मेघ प्राप्त करते हैं । घनाघनत्वं । और केवल मेघ ही हैं जो संसार के दावानल (जंगल में लगी आग) को बुझा सकते हैं । कोई और जल देने के उपाय इसमें सहायता नहीं कर सकते । यह असम्भव है । नाही आप वहां जा सकते हैं और नाही किसी अग्निशमन वाहन या बाल्टी द्वारा कोई सेवा कर सकते हैं । तो यह अग्नि कैसे बुझेगी ? घनाघनत्वं । यदि आकाश में मेघ...

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