
















पुस्तक वितरण सर्वश्रेष्ठ प्रचार प्रक्रिया है | पुस्तक वितरण, जन-साधारण के समागम स्थल जैसे विद्यालयों एवं कॉलेजों में कीर्तन,- ऐसे स्थानों पर प्रचार करो और यदि इसका अभ्यास करो और मात्र गंभीरता से अभ्यास करने से आप प्रगति करने का प्रयास करते हो तो, यह साधारण कार्यक्रम भगवान कृष्ण को सबसे अधिक प्रसन्न करेगा और यह तुम बहुत जल्द अनुभव कर पाओगे |
– श्रील प्रभुपाद का सुदामा को पत्र, २५ नवंबर १९७२
गुजरात के नवसारी शहर में गत १७ फरवरी को एक बहुत ही शानदार तथा आनंदमय रथयात्रा का आयोजन किया गया | आठ किलोमीटर की यात्रा में भगवान श्री जगन्नाथ ने अपने विशालकाय रथ पर बैठकर लगभग सम्पूर्ण शहर को दर्शन दिए और जनता को मंत्रमुग्ध कर दिया |
परम पूज्य भक्ति विकास स्वामी और अन्य वरिष्ठ भक्तों के दिव्य नृत्य ने इस सुंदरता में और चार-चाँद लगा दिए | इसके ऊपर से श्रीमान राधेश प्रभु की अध्यक्षता में सूरत के हसमुख भक्तो द्वारा बृहत मात्रा में श्रील प्रभुपाद की पुस्तकों का वितरण किया गया | ऐसा लगता था कि शहर के सभी दिशाओं में संकीर्तन भक्त छा गए है और श्रील प्रभुपाद की पुस्तकों की बाढ़ आ गयी है |
नवसारी के रहिवासी भगवान जगन्नाथ की सुंदरता, परम पूज्य भक्तिविकास स्वामी के नृत्य और भक्तों द्वारा श्रील प्रभुपाद के पुस्तक वितरण से अचंभित थे | पांच घंटे चलने वाली इस रथयात्रा में पुस्तक वितरण का स्कोर इस प्रकार रहा:
१०१ – बड़ी पुस्तकें
१२७ – मध्यम पुस्तकें
४६१ – छोटी पुस्तकें
२०५ – भगवद्दर्शन पत्रिकाएं
२० – भगवद्दर्शन पत्रिका के नए सदस्य
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श्रीमान जय गोविन्द प्रभु ने रथयात्रा और पुस्तक-वितरण के सुचारु संचालन एवं व्यवस्था की |
श्रील प्रभुपाद के दिव्य पुस्तक-वितरण की सदा ही जय हो