श्री नित्यानंद त्रयोदशी पर विशेष

नरोत्तम दास ठाकुर कहते हैं, "यदि आप भगवद्धाम में श्री श्री राधा-कृष्ण के संग के लिए व्याकुल हैं, तो सर्वोत्तम युक्ति यह है कि आप श्री नित्यानद प्रभु का आश्रय लें ।" वे आगे कहते हैं, "से सम्बन्ध नाही जार, बृथा जन्म गेलो तार : जो श्री नित्यानंद प्रभु के संपर्क में आने से वंचित रहा है उसने अपना बहुमूल्य जीवन ऐसे ही व्यर्थ गँवा दिया है ।" बृथा जन्म गेलो, बृथा अर्थात शून्य, तथा जन्म अर्थात जीवन । गेलो तार अर्थात व्यर्थ । क्योंकि उसने श्री नित्यानंद प्रभु से संबंध नहीं जोड़ा है । नित्यानंद, नाम ही सूचक...

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