आषाढ़ी द्वितीया के पावन अवसर पर , गुजरात के सूरत शहर में 25 जून 2017 , रविवार को रथयात्रा महोत्तसव का भव्य कार्यक्रम रखा गया।
जैसा कि विदित है सूरत , गुजरात राज्य का एक बहुत बड़ा शहर है। हजारों की संख्या में भक्तों व आम जनमानस ने बहुत ही उत्साह के साथ इस भव्य ओर पवित्र उत्सव में भाग लिया।
भक्तों के लिये यह बहुत ही सुनहरा मौका था कि वे इस रथयात्रा पर्व पर पुस्तक वितरण करके प्रभुपादजी को प्रसन्न कर सके। इस रथयात्रा महोत्तसव में , जहाँ एक ओर ऐसै नये लोग थे जो भगवान के विषय में कुछ नहीं जानते थे या कुछ ऐसै जिन्हें भगवान के विषय में थोड़ी-बहुत जानकारी थी , कुछ ऐसै भी जो भगवान पर विश्वास नहीं रखते थे , ओर यहाँ तक कि कुछ ऐसै लोगों ने भी भाग लिया , जो अन्य धर्म व संप्रदाय से थे।
जैसा कि श्रील प्रभुपादजी ने एक बार कहा था कि “जहाँ पर प्रकाश है वहाँ पर अंधकार का प्रश्न ही नहीं उठता , ओर कृष्णभावनामृत वह प्रकाश है जो भौतिक बन्धनों के अंधकार को दूर करता है।” ( रथयात्रा व्याख्यान , सैनफ्रान्सिकौ , जून 27/1971 )
ओर बद्ध जीवों तक कृष्णभावनामृत का प्रकाश पहूँचने के लिये , सूरत इस्कॉन मंदिर के उपाध्यक्ष H.G. वृन्दावन दास प्रभुजी के मार्गदर्शन में तथा H.G. राधेशदास प्रभुजी के नेतृत्व में लगभग 150 भक्तों के समुह ने , श्रील प्रभुपादजी की प्रसन्नता के लिये , रथयात्रा महोत्तसव का अपना पुरा समय श्रील प्रभुपाद की पुस्तकों को वितरण करने में लगाया , जिससे कि भगवान जगन्नाथजी की कृपा साधारण जनमानस तक पहुँचे।
⬇ पुस्तक वितरण का विवरण
बहुत बड़ी पुस्तकें :- 491
बड़ी पुस्तकें :- 75
मध्यम पुस्तकें :-25
छोटी पुस्तकें :- 991
श्रीमद् भागवतम् फुल-सेट :-13
चैतन्य चरितामृत फुल-सेट :- 1
श्री भक्ति-सिद्धांत वैभव सेट :- 1
भगवदर्शन लूज :- 860
भगवदर्शन एक साल सदस्य :- 33
इसके अतिरिक्त कुछ ओर भी पुस्तकें जिनकी गिनती नहीं हो सकी।
प्राप्त कुल लक्ष्मी-सेवा :- 2.07 लाख।
रिपोर्ट :- जगन्नाथ दामोदर दास , सूरत
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